
ऊर्जा, संसार के प्रमुख संसाधनों में से सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। मानव जाति के उत्थान हेतु ऊर्जा उत्पादन एक महत्वपूर्ण कार्य है। भारत में ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख स्त्रोत कोयला रहा है। परन्तु जैसा हम सब जानते है कोयला एक सीमित संसाधन है , एक बार धरती पे कोयला ख़त्म हो जाने के उपरान्त उसका उत्सर्जन किया जाना कठिन कार्य है। भविष्य में ऊर्जा सम्बन्धी समस्या को रोकने का केवल एक ही उपाय है, वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों का विकास। विभिन्न प्रकार की टेक्नोलॉजी के विकास से अब दूसरे ऊर्जा स्त्रोत्रों का उपयोग करना काफ़ी आसान हो गया है, मसलन सोलर, विंड, जिओ–थर्मल, इत्यादि।
उपरोक्त लिखे विकल्पों में से सोलर एक सुविधाजनक विकल्प बनके उभरा है। एक समय ऐसा भी था जब सोलर पॉवर केवल गाँवों तक ही सिमित थी परन्तु बदलते समय के साथ साथ इस धारणा में भी बदलाव आया है और शहरी इलाको में सोलर का चलन काफ़ी प्रचलित हुआ है। सूर्य की असीमित ऊर्जा और विकसित टेक्नॉलजी, सोलर ऊर्जा को एक महत्वपूर्ण विकल्प बनाती है। तो आईये जानते है कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बातें जो आपको सोलर लगाते समय ध्यान में रखनी चाहिए।
सोलर पैनल चुनने से पूर्व कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान अवश्य रखे।
- उत्पाद की एफिशिएंसी
सोलर पैनल लगाने से पूर्व उसकी एफिशिएंसी का ज्ञान होना अति आवश्यक है। एक बार स्थापित किये जाने के पश्चात उसमें फेर–बदल की गुंजाईश कम रहती है इसलिए पैनल इंस्टालेशन से पूर्व उत्पाद की एफिशिएंसी की जॉंच भली–भांति कर ले।
- किफ़ायती दाम
एफिशिएंसी के साथ साथ उत्पाद का किफ़ायती होना भी अति आवश्यक है। सोलर एक ऐसी इन्वेस्टमेंट है जो लम्बे दौड़ में रिटर्न देती है, इसलिए यदि आप अस्थायी रूप से कही निवास कर रहे तो सोलर की उपयोगिता थोड़ी कम हो जाती है।
- मैन्युफैक्चरर वारंटी
सोलर के उत्पाद अन्य बिजली उपकरणों की तुलना में महंगे होते है इसलिए यह काफी आवश्यक है की उपकरणों की वारंटी लम्बी अवधि तक हो ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की असुविधा के समय आप अपने रिटेलर से संपर्क कर पायें।
प्रमुखतः सोलर दो प्रकार के होते है :-
- ग्रिड -टाई
इस तरह के सोलर उपकरण अक्सर शहरों में उपयोग किये जाते है क्यूंकि ये पॉवर लाइन्स से भी जुड़े होते है। ऐसे उपकरण ना केवल बिजली बिल पर भारी बचत करते है अपितु थर्मल पॉवर पर लोगों की निर्भरता को समाप्त करते है
- ऑफ -ग्रिड सोलर
ऑफ –ग्रिड सोलर का मुख्य उपयोग गावों में किया जाता है , इस तरह के सोलर एक बैटरी के साथ आते है जिनमे पॉवर को संचित किया जा सकताहै। ये ना केवल दुर्गम क्षेत्रों में बिजली पहुंचाते है अपितु इसके साथ आने वाली बैटरी भविष्य के लिए ऊर्जा संचित करने में मदद करती है।
सोलर पैनल से उत्पादित होने वाली बिजली विभिन्न बातों पर निर्भर करती है जैसे की पॉवर रेटिंग , क्षेत्र का तापमान , उत्पाद की एफिशिएंसी इत्यादि। इन सारे बिंदुओं का समावेश ही सोलर पैनल की बिजली उत्पादन की जानकारी दे सकता है। हर ग्राहक अपनी निजी जरुरत के अनुसार सोलर लगवाते है , इसलिए सोलर इनस्टॉल करवाने से पूर्व ये काफ़ी महत्वपूर्ण है की हर व्यक्ति अपनी निजी जरूरतों को समझे। किसी भी विज्ञापन द्वारा प्रभावित ना हो और अपनी जरुरत के अनुसार ही अपना सोलर चुने। एक बार यह निर्धारित कर लेने के पश्चात ग्राहक को पुरे सिस्टम की भी जानकारी होनी चाहिए। एक सोलर सिस्टम में सोलर पैनल , इन्वर्टर और रैकिंग की आवश्यकता होती है। जिसमे सोलर पैनल सौर ऊर्जा को संचित करता इन्वर्टर उसे डी.सी से ऐ.सी में बदलता है। रैकिंग का उपयोगिता पुरे सिस्टम को सपोर्ट देने में आती है।
जांचे , परखे और सही चुने।