भारत कैसे विश्व पटल पर सौर शक्ति बनेगा?

भारत कैसे विश्व पटल पर सौर शक्ति बनेगा?

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वर्तमान समय में पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के ख़तरों से जूझ रही है तथा विश्व स्तर पर जलवायु में गंभीर बदलाव देखकर दुनिया के विभिन्न देशों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में क़दम बढ़ाये हैं। इसमें भारत का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है क्योंकि भारत में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की है जिसके तहत पूरे देश में सौर ऊर्जा संबंधित जागरूकता अभियान के साथ-साथ सौर पैनल लगवाने की योजना है।

भारत के तमाम वैज्ञानिकों ने भी गैर- परंपरागत स्रोत के उपयोग को बढ़ावा देने की गुहार की है जिसके परिणामस्वरूप देश भर में ऊर्जा निर्माण के लिए नए नए सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। धरती पर सौर ऊर्जा का उपयोग विभिन्न तरीक़ों से होता है लेकिन सूरज की किरणों को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने को ही मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के तौर पर जाना जाता है। सूर्य की रोशनी से मिलने वाली ऊर्जा को 2 तरीक़े से विद्युत में परिवर्तित किया जा सकता है: 1. प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और 2. किसी तरल पदार्थ को सूरज की गर्मी से गर्म करने के बाद इससे जनरेटर चलाकर।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे भारत विश्व स्तर पर सौर शक्ति के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। विकासशील देशों को विकसित देशों की श्रेणी में आने के लिए ऊर्जा संरक्षण एवं शक्ति के क्षेत्र में भी अपनी मज़बूत पहचान बनानी होती है। इसी को ध्यान में रखकर वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा प्लांट में से ज़्यादातर प्लांट की स्थापना भारत में ही हुई है। भारत जल्द ही विश्व पटल पर सौर शक्ति के रूप में उभरकर सामने आने के लिए हर कोशिश कर रहा है तथा निश्चित सफलता भी हासिल कर रहा है। यही नहीं भारत में केंद्र एवं राज्य सरकारों ने भी विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की है जिसके तहत हर वर्ग के लोगों को निश्चित लाभ मिलता है एवं सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ सोलर प्लांट लगाने पर सरकार द्वारा तय सब्सिडी भी मुहैया करवाई जाती है।

इन परियोजनाओं में कुसुम योजना भी शामिल है जिसके तहत 2022 तक तीन करोड़ सिंचाई पम्पों को डीज़ल या बिजली के बजाय सौर ऊर्जा से चलाया जाएगा। किसानों के हित को ध्यान में रखकर शुरू की गई इस योजना से तमाम किसान लाभार्थी हुए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने सोलर सब्सिडी स्कीम की भी शुरुआत की है जिसमें देशभर में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस योजना के बाद लोग सौर ऊर्जा के प्रति जागरूक हुए हैं तथा सौर ऊर्जा से विद्युत निर्माण में बढ़ चढ़कर भागीदारी निभाई है। साथ ही 2009 में शुरू हुई राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत देशभर में वर्ष 2022 तक 20 हज़ार मेगावाट क्षमता वाले सौर ग्रिड की स्थापना तथा 2 हज़ार मेगावाट वाली सोलर ऑफ ग्रिड के सुचारू संचालन के लिए नीतिगत कार्य योजना का विकास करने के लिए सरकार निरंतर काम कर रही है।

दुनियाभर में सोलर प्लांट की स्थापना हुई है तथा विश्व के सबसे बड़े सोलर प्लांट में से अधिकतर सोलर प्लांट भारत में ही स्थापित किये गए हैं।

आइए पढ़ते हैं भारत के प्रचलित सौर संयत्रों (सोलर प्लांट्स) के बारे में:

कमुठी सोलर पावर प्रोजेक्ट:
2,500 एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में फैला यह सोलर प्लांट तमिल नाडु के रामनाथपुरम ज़िले में स्थित कमुठी में बनाया गया है। 2016 से कार्यशील इस सोलर प्लांट की कुल क्षमता 648 मेगावाट है। इस पावर प्लांट को सब- स्टेशन के माध्यम से ग्रिड से जोड़ा गया है तथा 8 महीने में बने इस सोलर प्लांट से देश को प्राकृतिक रूप से ऊर्जा उत्पादन में तो मदद मिल ही रही है साथ ही भारत वैश्विक स्तर पर भी पहचान बनाने में सक्षम हो रहा है।

कुरनूल अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क:
आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में स्थित यह सोलर पावर प्लांट 5,932.32 एकड़ में फैला है तथा इसकी कुल क्षमता 1,000 मेगावाट है। वर्ष 2019 में स्थापित यह सोलर प्लांट देश भर में विद्युत निर्माण एवं ऊर्जा संरक्षण की दिशा में काम कर रहा है।

भड़ला सोलर पार्क:
रेगिस्तान के बीच स्थित भड़ला जगह का नाम अमूमन लोगों ने नहीं सुना होगा लेकिन वैश्विक स्तर पर यह जगह 2017 से ही चर्चा में है क्योंकि इसी वर्ष यहाँ इस सोलर पावर प्लांट की स्थापना हुई थी। 10 हज़ार एकड़ रेगिस्तान की भूमि जहाँ खेती भी नाम मात्र की होती है, आज सौर ऊर्जा की खान बनकर उभरी है। इस सोलर प्लांट की क्षमता 2255 मेगावाट है तथा स्थानीय लोगों को आजीविका के साधन प्रदान करने के साथ साथ इस पावर प्लांट की मदद से विश्व स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में भारत का दबदबा बन गया है। विभिन्न विदेशी कंपनियों ने भी राजस्थान में निवेश शुरू कर दिया है तथा युवाओं ने इंजिनीरिंग की पढ़ाई करके इन्हीं सोलर प्लांट पर उपलब्ध रोज़गार के अवसरों का लाभ प्राप्त किया है।

पावागढ़ सोलर पार्क:
कर्नाटक के तुमकुर ज़िले के पावागढ़ में 13,000 एकड़ में फैले इस सोलर प्लांट की क्षमता 2,000 मेगावाट है। इस प्लांट का नाम शक्ति स्थल है तथा इसका निर्माण किसी भूमि अधिग्रहण के बिना 2 वर्ष में हुआ है। इस सोलर प्लांट के निर्माण एवं स्थापना के लिए राज्य के किसानों ने अपनी ज़मीन किराए पर दी है तथा इन किसानों को 21,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से लाभ मिला है। अक्षय ऊर्जा की दिशा में काम करने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ साथ कर्नाटक भी बढ़ चढ़कर भागेदारी निभा रहा है।

ऊपर बताई गई परियोजनाओं के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्र जैसे ऑटोमोबाइल, परिवहन आदि भी सौर ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता एवं परियोजनाओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत इसी प्रकार विश्व स्तर पर सौर शक्ति के रूप में उभरकर सामने आएगा। यह सोलर पावर प्लांट ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों को तो पूरा करते ही हैं साथ ही बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर भी प्रदान करते हैं। सौर ऊर्जा के सफ़ल उपयोगों के साथ भारत की समृद्धि एवं विकास में निश्चित वृद्धि हो रही है।

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